ऊपर वाले बहुत बधाई
ऊपर वाले बहुत बधाई,
जो तूने बारिश करवाई।
कितने दिन से तरस रहे थे,
पल-पल कैसे उमस भरे थे।
उफ़ गर्मी,क्या गर्मी थी वो,
सूरज की हठधर्मी थी वो।
अब लोगों ने राहत पाई,
ऊपर वाले बहुत बधाई।
पानी बरसा, मनवा हरसा,
प्यासा जन था सूखे मरु-सा।
प्यासा मन अब डोल रहा है,
मेघों की जय बोल रहा है।
दादुर ने भी टेर लगाई,
ऊपर वाले बहुत बधाई।
अब किसान के वारे-न्यारे,
कब से वह आकाश निहारे।
खुशहाली का हल ही हल है,
रोटी-रोज़ी का सम्बल है।
खेतों में खेती लहराई,
ऊपर वाले बहुत बधाई।
नभ में पक्षी चहक रहे हैं,
फूल, बाग में महक रहे हैं।
पेड़ों पर झूले ही झूले,
बच्चे खुश हो झूला झूले।
अमवा की डाली मुस्काई,
ऊपर वाले बहुत बधाई।
…आनन्द विश्वास