ऊपर अस्ल ठिकाना है
ऊपर अस्ल ठिकाना है
इक रोज़ वहीं जाना है
माया का जंजाल यहाँ
क्या खोना क्या पाना है
झूम रहा जो मस्ती में
शख़्स वही दीवाना है
•••
ऊपर अस्ल ठिकाना है
इक रोज़ वहीं जाना है
माया का जंजाल यहाँ
क्या खोना क्या पाना है
झूम रहा जो मस्ती में
शख़्स वही दीवाना है
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