ऊंची तेरी शान !
ऊंची तेरी शान है , ऊंचा तेरा मान ।
सबके विष को पी लिया,तुमने अपना जान ।।
तुमने अपना जान , ग़ैर को गले लगाया ।
भटके जो भी लोग, सभी को राह दिखाया ।।
कहते श्री कविराय , नहीं की हेरा- फेरी ।
सबके आया काम , शान है ऊंची तेरी ।।