उ बचपना कहाँ गईल
दूध-भात के भरल कटोरा
चीनी रोटी हाथ में,
धुरी-गर्दा में लोटत बूतरू
गुल्ली-डंडा साथ में,
एक रन ला उ लड़ाई
उ हंगामा कहाँ ग़ईल,
ए हरी जे खोजत बानी
उ बचपना कहाँ गईल।
डोल-पत्ता के खेल खेलाई
क़ंचा-एल्ली काँख में,
भरल दूफरिया आम तोड़ाई
सवंसे विधया पाँख में,
राजा चोर सिपाही खेला
के खेलवैया कहाँ गईल,
ए हरी…….