उड़ने दो
उड़ने दो मुझको माँ उड़ने दो
आसमाँ से ऊँची मेरी लंबी उड़ाने,
पंखों पे मेरे वजन ना रखो
भरने दो मुझको लंबी उड़ाने।
जब मुझकों माँ डर लग जाए
चिंता कल की मुझको सताए,
मैं कितना कमज़ोर हूँ आकर
गर मुझकों कोई भी डराए,
बाहों में भरके लोरियाँ सुनाना
मैं सबसे अच्छा हूँ मुझको बताना,
उड़ने देना मुझको ऊँचा
याद दिलाना मुझे मेरी उड़ाने।
जॉनी अहमद “क़ैस”