उस बाबा को भूल गए ?
अभिव्यक्ति की आजादी,किसने दी थी बोल ?
उस बाबा को भूल गए ?
कैसा है मैखोल !
कैसा है ये मैखोल,
शर्म तुमको नहीं आती,
बदल गई है दुनिया,
यहां अब भी जाति-पाति?
कह श्री कविराय,
यह लोकतन्त्र की शक्ति !
रोक नहीं सकता कोई,यहां विचारों-अभिव्यक्ति !