उस जंगल की बात निराली
उस जंगल की बात निराली,
शेर गाय से डरता है ।
कथा सुना के पत्नी को यह,
दम्भ एक पति भरता है ।
चालाकी से एक लोमड़ी ,
चीते को चित करती है ।
दौड़ लगाने में भी आगे,
फुर्ती देख तरसती है ।
घर के सारे काम कराता ,
पेश मिसालें करता है ।
शेर नही जंगल का राजा
यह तो महज़ कहानी है
मादाओं से सृष्टि चले यह ,
सबसे ऊपर रानी है ।
बिन पैसे की महरी पाता ,
नाम मालकिन धरता है ..
सभा जानवर की लिखता है
बिल्ली से चूहा डरता ।
घण्टी बाँध न पाते चूहे ,
खुश इक पल में वह करता ॥
धौंस दिखाकर नारी वाली ,
नर समाज को हरता है …