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16 Dec 2024 · 1 min read

उस्ताद जाकिर हुसैन

जाकिर हुसैन थे सहज सरल,
भागते न पीछे स्वारथ के।
वे पदम् विभूषण,पद्मश्री,
वे भूषनपद्म थे भारत के।

दुनिया कायल थी जाकिर की,
जिसने कमाल के ताल गढ़ा।
तबला वादन का जादूगर
उम्दा इंसा उस्ताद बड़ा।

उसकी महफ़िल में आ करके,
श्रोता सुकून दिल में पाते।
तबले पर थाप लगाता जब,
सब मंत्रमुग्ध से हो जाते।

तबले दोनों आहत होकर,
हैं सुबक रहें देखो आखिर।
बेकस मलूल बैठे रोये,
जग छोड़ चला जबसे जाकिर।

(16/12/24

Language: Hindi
42 Views
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