उसे हवस ही मानिए
उसे हवस ही मानिए, …या जिस्मानी प्यास !
पाकीज़ा से प्यार का .हुआ न यदिअहसास !!
चढे न ड्योढी खेत की , बोया कभी न धान !
लो वे भी कहने लगे खुद को आज किसान !!
रमेश शर्मा.
उसे हवस ही मानिए, …या जिस्मानी प्यास !
पाकीज़ा से प्यार का .हुआ न यदिअहसास !!
चढे न ड्योढी खेत की , बोया कभी न धान !
लो वे भी कहने लगे खुद को आज किसान !!
रमेश शर्मा.