उसे ना कोख में देना
खुदा ना बेटी वो देना, जो सबको यूं सताती हो,
झुकाकर बाप की पगड़ी,खुद ही का घर बसाती हो।
जो तोड़े तार राखी के, गले के हार की खातिर,
उसे ना कोख में देना, जो मां को यूं रूलाती हो।
✍️जटाशंकर”जटा”
खुदा ना बेटी वो देना, जो सबको यूं सताती हो,
झुकाकर बाप की पगड़ी,खुद ही का घर बसाती हो।
जो तोड़े तार राखी के, गले के हार की खातिर,
उसे ना कोख में देना, जो मां को यूं रूलाती हो।
✍️जटाशंकर”जटा”