उसे दिल से, बाँध रखा है l
उसे दिल से, बाँध रखा है l
इश्क सागर, लाँघ रखा है ll
इश्क व आशिकी चमकाने l
खुद को, कर चकाचौंध रखा है ll
इश्क उजाले को बुलाने
सहज फैला आंध रखा है l
मैली सी, मधुरता पाने l
प्यास को, बस साध रखा है l
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न