उसे खुद के लिए नहीं
उसे खुद के लिए नहीं,
औरों के लिए जीना सिखाया जाता है।
उसकी पसंद नापसंद को,
औरों की पसंद नापसंद से जोड़ा जाता है।
अगले घर जाएगी का ताना देकर,
हरपल पराया उसे महसूस कराया जाता है।
रिश्ते नातों की जिम्मेदारियों में बांध,
पर्दे की आड़ में जिंदगी जीने को कहा जाता है।