उसी वादी में
नीरव
तुम मुझे वहीं मिलना
उसी वादी में
जिसका जिक्र रूमी ने किया है
जहाँ सब कुछ सुंदर है
हर सही गलत की
परिभाषा से परे
बस, तुम और मैं
तुम शब्द मैं अर्थ
तुम बिंदु मैं विस्तार
तुम हिमखंड मैं पिघलती जलधार
तुम आकाश मैं धरा
दूर क्षितिज पर मिलते हुए
जहाँ लाल सूरज डूबता है
बस वहीं सब कुछ पूर्ण है
सहज, प्राकृतिक और सुंदर
नीरव
तुम मुझे वहीं मिलना
उसी वादी में
जिसका जिक्र रूमी ने किया है….
©️कंचन”अद्वैता”