उसने सिला हमको यह दिया
उसने सिला हमको यह दिया, माना था जिसको हमने अपना।
समझा था जिसको हमने सपना, कहा था जिसको प्यार अपना।।
उसने सिला हमको यह दिया——————–।।
कह ले कुछ भी तू चाहे हमको, सच क्या है मालूम है तुम्हें भी।
कर ले प्यार किसी से भी तू , मगर नहीं भूला पावोगे हमें भी।।
कर दिया तुमने तो खून दिल का, समझा था जिसको दिल अपना।
उसने सिला हमको यह दिया———————।।
हमने दिया है तुम्हें प्यार इतना, खुशियां तुम्हें इतनी किससे मिलेगी।
सूरत तेरी जो रोशन की है, बहारें गुलों की तुमको कहाँ मिलेगी।।
कर दिया बदनाम तुमने ही हमको, सम्मान दिया था तुम्हें तो इतना।
उसने सिला हमको यह दिया———————–।।
होता अगर मैं शातिर दिल तो, आबाद तुम आज इतने ना होते।
दिल अगर तुमको मैं नहीं चाहता, करीब तुम आज इतने ना होते।।
राहों में तन्हा कर दिया तुमने, हमको था तुमपे एतबार इतना।
उसने सिला हमको यह दिया———————।।
हकीकत से होगा तेरा सामना जब, आयेगी बहुत याद हमारी।
तरसोगे मेरी मोहब्बत के लिए, आँखों में होगी तस्वीर हमारी।।
यह बेवफाई क्यों की तुमने, माना था तुमको नसीब हमने अपना।
उसने सिला हमको यह दिया———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)