Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2024 · 1 min read

उसने सिला हमको यह दिया

उसने सिला हमको यह दिया, माना था जिसको हमने अपना।
समझा था जिसको हमने सपना, कहा था जिसको प्यार अपना।।
उसने सिला हमको यह दिया——————–।।

कह ले कुछ भी तू चाहे हमको, सच क्या है मालूम है तुम्हें भी।
कर ले प्यार किसी से भी तू , मगर नहीं भूला पावोगे हमें भी।।
कर दिया तुमने तो खून दिल का, समझा था जिसको दिल अपना।
उसने सिला हमको यह दिया———————।।

हमने दिया है तुम्हें प्यार इतना, खुशियां तुम्हें इतनी किससे मिलेगी।
सूरत तेरी जो रोशन की है, बहारें गुलों की तुमको कहाँ मिलेगी।।
कर दिया बदनाम तुमने ही हमको, सम्मान दिया था तुम्हें तो इतना।
उसने सिला हमको यह दिया———————–।।

होता अगर मैं शातिर दिल तो, आबाद तुम आज इतने ना होते।
दिल अगर तुमको मैं नहीं चाहता, करीब तुम आज इतने ना होते।।
राहों में तन्हा कर दिया तुमने, हमको था तुमपे एतबार इतना।
उसने सिला हमको यह दिया———————।।

हकीकत से होगा तेरा सामना जब, आयेगी बहुत याद हमारी।
तरसोगे मेरी मोहब्बत के लिए, आँखों में होगी तस्वीर हमारी।।
यह बेवफाई क्यों की तुमने, माना था तुमको नसीब हमने अपना।
उसने सिला हमको यह दिया———————।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
77 Views

You may also like these posts

प्रभु की माया
प्रभु की माया
अवध किशोर 'अवधू'
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*हे तात*
*हे तात*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#शीर्षक:-बहकाना
#शीर्षक:-बहकाना
Pratibha Pandey
युग प्रवर्तक नारी!
युग प्रवर्तक नारी!
कविता झा ‘गीत’
कहती रातें...।
कहती रातें...।
*प्रणय*
प्रकृति और मानव
प्रकृति और मानव
Rahul Singh
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
खुशियों को समेटता इंसान
खुशियों को समेटता इंसान
Harminder Kaur
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
पूर्वार्थ
4301.💐 *पूर्णिका* 💐
4301.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक
श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक " जिंदगी के मोड़ पर " : एक अध्ययन
Ravi Prakash
"UG की महिमा"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
शिवोहं
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
শিবকে ভালোবাসি (শিবের গান)
শিবকে ভালোবাসি (শিবের গান)
Arghyadeep Chakraborty
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
Neelofar Khan
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मां की महत्ता
मां की महत्ता
Mangilal 713
दोहा
दोहा
Sudhir srivastava
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
Manisha Manjari
सजल
सजल
seema sharma
सहज सरल प्रयास
सहज सरल प्रयास
Mahender Singh
"My friend was with me, my inseparable companion,
Chaahat
मेरे मालिक मेरी क़लम को इतनी क़ुव्वत दे
मेरे मालिक मेरी क़लम को इतनी क़ुव्वत दे
Dr Tabassum Jahan
फर्क
फर्क
ओनिका सेतिया 'अनु '
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
क्या खोया क्या पाया
क्या खोया क्या पाया
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
झूठे सपने
झूठे सपने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
समावेशी शिक्षा
समावेशी शिक्षा
Dr. Kishan tandon kranti
अगर हो हिंदी का देश में
अगर हो हिंदी का देश में
Dr Manju Saini
Loading...