उसने तो प्यार में भी जलालत की है।
गज़ल-
उसने तो प्यार में भी जलालत की है।
मैंने तो प्यार कर के इबादत की है।
रोज कुछ देर को तुम भी बच्चा बनो,
मैंने हर रोज की ये ही आदत की है।
छीन लेते हैं जो भी गरीबों का हक,
दोस्तो उन पे मैंने तो लानत की है।
कोई गद्दारी है देश के सँग अगर,
ऐसे हर शख्स से मैनें नफरत की है।
बांटना प्यार है हर इँसां का चलन,
उनसे प्रेमी ने दिल से मुहब्बत की है।
…….✍️ प्रेमी