उसको याद नही करना
दरवाजे पे आँखे रखकर , मन पहुँचा है तुम्हें बुलाने !
पैर खीचता अंदर बाहर , खुद को झूठा ख़्वाब दिखाने !!
इच्छाओं को रोज तहाकर , तकिए के नीचे रखता है !
खुद से अब बातें करने में , ना जाने क्यों डर लगता है !!
अंधियारे को घूस दिया कि , लम्बी रात नही करना !
हाँ उसको याद नही करना !!
एक पेड़ में अपनापन है , बाकी से इनकार प्रिये !
सब देते हैं छाँव अनोखी , वो देता है प्यार प्रिये !!
पास गया धरती सहलाई , मंजिल अपनी दबी जहाँ पे !
किसी एक के जाने भर से , किसकी दुनिया थमी यहाँ पे !!
आज होश को समझाया कि , दिल का साथ नही करना !
हाँ उसको याद नही करना !!
– शशांक तिवारी