उसको खोने का डर होगा!
उसको खोने का डर होगा।
जैसे ही आज सहर होगा।
कांप उठा था जैसे तब मैं,
वैसा अब तो अक्सर होगा।
उतने ऐश कहाँ फिर होंगे,
उसके बिन सूना घर होगा।
ऐसी वैसी बातें छोड़ो,
मौज तो यारों जमकर होगा।
उन आँख भिगोये हांथो में,
अब भी शायद पत्थर होगा।