उसकी मुस्कुराहट पे ना जाने कितने गुजर-बसर है…!!**!!
उसकी दबदबी सी मुस्कुराहट, कोई समझे ना गम की आहट,
कई ख्वाब छुपाए है मन में,हसरत से करे बगावत….
आंखों में गम छुपा ले…वो देखें सिर्फ उजाले…
मुस्कुराहट को संभाले… न मन में भेद काले…
यारों में नाम जब भी…मेरा कोई निकाले…
उसका नाम देने से डरते हैं सारे लाले..
उसकी नजर बड़ी कातिल है,अदा किसी से क्या कम है..
हम तोड़ तो निकाल ले, पर वो डरते बड़े सनम है…
क़यामत से क्या वो कम है, जालिम सी नजर है…
उसकी मुस्कुराहट पर न जाने कितने गुजर बसर है…!!