Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2022 · 1 min read

उसकी मर्ज़ी का खेल था सारा

उसकी मर्ज़ी का खेल था सारा ।
हम तमाशा थे ज़िन्दगी के लिए ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
8 Likes · 149 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
ख्वाब को ख़ाक होने में वक्त नही लगता...!
Aarti sirsat
अनमोल जीवन के मर्म को तुम समझो...
अनमोल जीवन के मर्म को तुम समझो...
Ajit Kumar "Karn"
हिन्दी ग़ज़ल
हिन्दी ग़ज़ल " जुस्तजू"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
■ भाषा का रिश्ता दिल ही नहीं दिमाग़ के साथ भी होता है।
■ भाषा का रिश्ता दिल ही नहीं दिमाग़ के साथ भी होता है।
*प्रणय*
नववर्ष- 2025 के लिए
नववर्ष- 2025 के लिए
आर.एस. 'प्रीतम'
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
VINOD CHAUHAN
go88xncom
go88xncom
go88xncom
शिक्षा बिजनिस हो गई
शिक्षा बिजनिस हो गई
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मेहनत से रोटी मिले दो वक्त की
मेहनत से रोटी मिले दो वक्त की
सुशील भारती
आपके सत्कर्मों से आपकी प्रभा, आभा बनकर आपके बाद प्रकाशित रहे
आपके सत्कर्मों से आपकी प्रभा, आभा बनकर आपके बाद प्रकाशित रहे
Sanjay ' शून्य'
आदमी इस दौर का हो गया अंधा …
आदमी इस दौर का हो गया अंधा …
shabina. Naaz
सत्य
सत्य
लक्ष्मी सिंह
बहकते हैं
बहकते हैं
हिमांशु Kulshrestha
जब भर पाया ही नहीं, उनका खाली पेट ।
जब भर पाया ही नहीं, उनका खाली पेट ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कोई भी जीत आपको तभी प्राप्त होती है जब आपके मस्तिष्क शरीर और
कोई भी जीत आपको तभी प्राप्त होती है जब आपके मस्तिष्क शरीर और
Rj Anand Prajapati
बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग
सत्य कुमार प्रेमी
हमको इतनी आस बहुत है
हमको इतनी आस बहुत है
Dr. Alpana Suhasini
हमें खुद से बैर क्यों हैं(आत्मघात)
हमें खुद से बैर क्यों हैं(आत्मघात)
Mahender Singh
ग़ज़ल _ मतलब बदल गया।
ग़ज़ल _ मतलब बदल गया।
Neelofar Khan
कर दिया
कर दिया
Dr fauzia Naseem shad
ग़म का लम्हा, तन्हा गुज़ारा किजिए
ग़म का लम्हा, तन्हा गुज़ारा किजिए "ओश"
ओसमणी साहू 'ओश'
झूठी हमदर्दियां
झूठी हमदर्दियां
Surinder blackpen
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
जागता हूँ क्यों ऐसे मैं रातभर
gurudeenverma198
दीदार-ए-इश्क
दीदार-ए-इश्क
Vivek saswat Shukla
आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई,डरा रही है तन्हाई है
आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई,डरा रही है तन्हाई है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अंधेरा छाया
अंधेरा छाया
Neeraj Mishra " नीर "
सिय का जन्म उदार / माता सीता को समर्पित नवगीत
सिय का जन्म उदार / माता सीता को समर्पित नवगीत
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
"कश्मकश"
Dr. Kishan tandon kranti
इच्छा.
इच्छा.
Heera S
Loading...