– उसकी कशिश मुझको उसकी और खीचती जाए –
उसकी कशिश मुझको
उसकी और खीचती जाए –
लहर -लहर लहराए झुल्फे उसकी,
नशीली आंखें मुझको घायल कर जाए,
कटार सी कमर उसकी मेरा मन हर जाए,
देखकर उसकी मासूमियत मेरा मन उदेवलित हो जाए,
चेहरे उसका चांद का टुकड़ा,
चांद भी उससे जलन कर जाए,
उसकी नशीली आंखें देखकर ,
मुझको शराब सा चढ़ जाए,
उसका आज गजब अंदाज,
मेरे मन को भाए,
उसकी कशिश मुझको उसकी और खीचती जाए,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान