उषा
*उषा *
रजनी बीती हौले -हौले ,
उषा मुस्काती आई ।
लाल -लाल बिंदिया रवि का ,
माथे पे सजाती आई ।
लिए अनंत प्रकाश-पुंज आभा,
धरा को जगमगाती आई ।
फूल -फूलों से लदी टोकरी ले,
जग को तृप्त करती आई।