उल्फ़त .में अज़ब बात हुआ करती है ।
उल्फ़त .में अज़ब बात हुआ करती है ।
ख़्वाबों में ही मुलाक़ात हुआ करती है ।
नज़रें इशारों को. समझ ही नहीं पाती –
बस खामोशियों से बात हुआ करती है ।
सुशील सरना
उल्फ़त .में अज़ब बात हुआ करती है ।
ख़्वाबों में ही मुलाक़ात हुआ करती है ।
नज़रें इशारों को. समझ ही नहीं पाती –
बस खामोशियों से बात हुआ करती है ।
सुशील सरना