“उलझे हुये फेसबूक”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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उलझे हुये फेसबूक
पन्नों को
कोई तो सुलझा दो
चमकती तस्वीर
उसकी बने
लोगों को एक पाठ
पढ़ा दो !
सब के सब अपने
पन्नों के
खुद नायक हैं
अपनी प्रतिभाओं के
के बल पर
बनते महानायक हैं
कवि अपनी कविताओं से
जगत का
कल्याण करता
अपनी – अपनी लेखनी
से महान बनता
कोई अपनी कलाओं
का प्रदर्शन
करता है
कोई अपनी गायन
से लोगों का
मन बहलाता है
अपनी कहानियों की
कल्पनाओं से
दूसरे को रिझाता है
कोई अपना
संस्मरण और जीवन का
अनुभव
लोगों को सुनाता है
हम बिरले ही
किन्हीं से मिलते हैं
हम कुछ लोगों को
ही जान पाते हैं
फिर भी
उनके दुख -सुख से
हम परचित रहते हैं
अपनी सांत्वना शुभकामना
हम सदा अर्पित करते हैं
बातें तब
उलझ जाती है
जब आपका अभिनय
और आपकी कला
लुप्त हो जाती है
हम आपको देखना
चाहते हैं
आपकी प्रतिभाओं
का अवलोकन करना
चाहते है !
उलझे हुये फेसबूक
पन्नों को
कोई तो सुलझा दो
चमकती तस्वीर
उसकी बने
लोगों को एक पाठ
पढ़ा दो !
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,झारखंड
भारत
09.06.2024