उलझन
उलझन
मम्मी, पापा और गुरु,
मौका मिलते ही हो जाते हैं शुरू.
छात्रों के हिस्से में शिक्षा ग्रहण करना है आता,
राजनिती से नहीं उनका दूर का नाता.
यदि पूरा ध्यान लगा कर करोगे अध्ययन,
तभी जीवन में तुम पाओगे कुछ बन.
लेकिन अबोध दिमाग समझ नहीं है पाता,
कि कैसे नहीं हमारा राजनिती से कुछ नाता ?
जब यह राष्ट्र रूपी बस,
छोड़ ड्राईवर को बेबस.
राजनिती रूपी गड्ढों में जाती है उतर.
तो हिलने लगता है यात्री हार.
झटके का असर है यात्रियों पर व्यापक,
हिल जाते हैं किसान, व्यापारी और अध्यापक.
जब झटके से हिल जाता है यात्री हर,
समझ नहीं आता कैसे रह सकता है छात्र बेअसर.
जब झटका सभी को समान रूप से हिलाएगा,
तो सिर्फ छात्र बिना हिले कैसे रह पायेगा ?