उम्र
वक़्त दीमक
चाटे दिन ब दिन
शाख उम्र की
खर्च हो रहे
ज़िंदगी गुल्लक से
उम्र के साल
वक़्त की आंधी
संग उड़ा ले जाती
उम्र के पत्ते
उम्र का घड़ा
बूंद बूंद रिसता
खाली हो रहा
करती वार
काटे उम्र के साल
वक़्त कटार
चुगती जाये
समय की चिड़िया
उम्र के दाने
खूब सेक ली
अब ढलने लगी
उम्र की धूप
ज़िंदगी रेल
भागे जब तक है
उम्र का तेल
सिक्के उम्र के
कब खर्च हो गए
पता ना चला
उसने दिये
गुल्लक मे सबको
गिन के सिक्के
जीवन दीप
धडकनों का तेल
साँसों की बाती
कब फूटेगा
बुलबुला प्राणो का
कौन जानता
उम्र दरख़्त
गिरा दे एक पत्ता
हरेक साल