उम्र निकल रही है,
उम्र निकल रही है,
हम ख़ुद को सम्माले बैठे है।
सालो बीता दी, खुद को बनाने में
आज हम खुद को जलाने बैठे है
समझ नही आता , तो क्या समझे
बेसमझ को समझाने बैठे है
उम्र निकल रही है
हम ख़ुद को सम्माले बैठे है।..
…. अनुज यादव