*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
रक्षाबंधन एक बहन का एक भाई के प्रति सुरक्षा चक्र और विश्वास
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
"इफ़्तिताह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
उसने कहा तुम मतलबी बहुत हो,
जीवन एक और रिश्ते अनेक क्यों ना रिश्तों को स्नेह और सम्मान क
इतना भी ख़ुद में कोई शाद अकेला न रहे,
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मै पा लेता तुझे जो मेरी किस्मत करब ना होती|
कवि के हृदय के उद्गार
Anamika Tiwari 'annpurna '