उम्र का लिहाज
उम्र का लिहाज
आया बहुत, गया बहुत , मैं भी जाने वाला हूं।
गृहस्थ जीवन का है अनुभव तू भी नारी वाला है।।
दर्द समझो बेटी बेटा का , गृहस्थी उनका बसाना है
योग्य हुआ बेटा बेटी तब समधी तो बनाना है।।
सही उम्र का ख्याल करो ,अहंकार में ना मतवाला हो
बीस गया , पच्चीस गया तीस जाने वाला है।।
फिर भी बेफिक्र बैठे हो मनमार,
कैसा बेटा बेटी वाला है।।
बेटा का उम्र हुआ चालिस ,बेटी का तीस,
गहन अध्यन करके देखो,क्या यही प्रकृति का रीत।।
समाज सुधार की बात होती,कैसा संस्कार वाला हो।।
सम्मान करो बेटा बेटी का,
तुम भी नारी वाला हो।।
पुछते हैं बेटा से,करवाओगे विवाह,
बेटी को भी पूछने लगे, किससे करोगे निकाह ।।
क्या जीवन भर यही कहेगा
,बिगड़ गया बेटी बेटा तो,दोष उन पर मरड़ेगा ।।
दोष बेटी बेटा का नहीं, उम्र का लिहाज है
बेफिक्र मां-बाप का एक सुंदर हिसाब है ।।
अरे तुम किसी का दमांदऔर किसी का साला है
गृहस्थ जीवन का है अनुभव, तू ही नारी वाला है।।
सही उम्र कि ख्याल करो , नहीं तो मधुशाला है
गृहस्थ जीवन का है अनुभव,तू भी नारी वाला है।।