उम्रभर रोशनी दिया लेकिन,आज दीपक धुआं धुआं हूं मैं।
उम्रभर रोशनी दिया लेकिन,आज दीपक धुआं धुआं हूं मैं।
वास्ता इश्क़ है या पागलपन ,देख तो लो कहां कहां हूं मैं।
दिलकशी, ऊन्स, चाहत,अकीदत,इबादत भी मुकाम ही हैं
इश्क़ का सातवां मुकाम है मौत..जुनून छठा है और वहां हूं मैं।
दीपक झा रुद्रा