उम्मीद
टूट जाना, टूटकर जुड़ जाना,
रूठे को फिर से मना लेना,
हारकर थककर जो थे सोये,
भौंर भई बन उम्मीद आगे बढे,
कहीं उम्मीद लेकर जाते हो,
करना तुम्हें ही पड़ रहा भले,
कर्ता तुम खुद ही को पाते हो,
यही समझ सफल दामन हो,
पैदा होना विभिन्न लेप चढना,
उन्हें जान लेना फिर उतार देना,
आदमी बन कर बोझ ढोहना,
मनुष्य की तरह मनन करना,
इंसानियत को नये आयाम देना,
नाकामियों की वजह खोजना,
नूतन उत्साह से फिर चलना,
अपने कुछ करने के जज्बे को,
संचित कर सफल अंजाम देना,
उम्मीद की ईंटों से घर सजाना,
आत्मबल आत्मविश्वास कर्मठ
ईमानदारी के सतरंगी दृश्यता,
एक मिशाल रुप मशाल जलाना,
ना रखना इसे , बस दूसरों से ,
धरासायी धोखे खाने से बचना,
आलसी लोग प्रमादी संयोग,
तूफान आदि भूकंप से बचना,
नामुमकिन में भी भर दे जो आशा,
किरण हीरे में प्रकाश बन झलकती,
डूबते को तिनके का सहारा बनती,
मृत्यु हरती जीवन में आयाम भरती,
हंस सी परख हो, पारस की प्रवृति,
कौएं सी चेष्टा, बगुले सा ध्यान हो,
फिर उम्मीद भी दूधो धुले पूतो फले,
जो नाउम्मीद हो,उसमें भी जज्बा भरे,
बीज से वृक्ष , वृक्ष से अतिसूक्ष्म रुप,
माहौल बने, फिर से विराट रूप धरे,
सृष्टि सा जीवन-चक्र चलता रहे बस,
हर नाउम्मीदी में उम्मीद से प्राण भरें.
वैद्य महेन्द्र सिंह हंस