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11 Sep 2024 · 1 min read

उम्मीद …….

उम्मीद …….

मैं जानती हूँ
बन्द साँकल में
कोई आवाज नहीं होती
मगर होती हैं उसमें
उम्मीद की सीढ़ियों पर सोयी
अनगिनत प्यासी उम्मीदें
किसी के
लौट आने की ।

मैं जानती हूँ
कि उम्मीद के दामन में
दर्द के सैलाब होते हैं
कुछ हसीन ख़्वाब होते हैं
साँझ के साथ
उम्मीद भी जवान होती है
शब इन्तिज़ार के पैरहन में रोती है
अक्सर उम्मीद झूठी होती है
मगर दिल की बसती में
उम्मीद
हर पल जवान होती है

नज़र की ख़ामोशी
ख़ामोश साँकल से बात करती है
किसी दस्तक की फरियाद करती है
तन्हाई से गुफ़्तगू होती है
झूठी ही सही
मगर
उम्मीद तो उम्मीद होती है

सुशील सरना /

20 Views
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