उम्मीद
तुम अपने गम भुला कर तो देखो
दोस्ती के हाथ बढ़ा कर तो देखो
दुःखी तो बहुत बार हुए
बिना बात मुस्कुरा कर तो देखो
भाई भाई मे झगड़े तो बहुत बार हुए
बड़े भाई के बात मान कर तो देखो
परिवार एक जुट हो जाएगा
दुश्मन बिखर जाएंगे
परिवार में खुशियां होगी
दुश्मन नजदीक भटक न पाएंगे
राहे खुद-ब-खुद आसान हो जाएगी
तुम उम्मीद के दिए जला कर तो देखो
सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार