उम्मीद !
ना उम्मीद कर ए दिल, उनसे वफाई की,
दलीले भी देंगे वो, अपनी सफाई की,
हर दलील पर उनके आंशू होंगे ढ़ेरों,
कहेंगे वो कहानी अपनी रुसवाई की,
ना पिंघल जाना, सुनकर उनकी बातें,
आँशुओ से करती हुई बरसाते,
ये तो एक अदा है उनकी,
अच्छे अच्छे को बहकाई की,
सनम बेवफ़ा वो, खुश होते है दिल तोड़कर
मर्जी उनकी जब भी, चल देते है छोड़ कर।
हमने भी अब भूला देना है उनको यार,
ना सुनेंगे हम अब , आवाज उनकी शहनाई की।
मुकेश गोयल ‘किलोईया’