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29 Jun 2020 · 1 min read

उम्मीद

रातों रोई कामना, दुखी हुई उम्मीद।
एक एक कर हो गये, सपने सभी शहीद।।

आशाएँ विकलांग हैं, और स्वप्न बीमार।
ले लेता हूँ रोज ही, सांसें चंद उधार।।

धुआँ-धुआँ सी जिंदगी, लहू-लहू उम्मीद।
हालातों ने कर रखी, मिट्टी बहुत पलीद।।

पीली-पीली हो गयी, इच्छाओं की दूब।
आशाओं का भास्कर, गया तिमिर में डूब।।

वर्तमान को कर रहा, था जब दर्द खराब।
चुटकी भर उम्मीद ने, रखे सुरक्षित ख्वाब।।

प्रदीप कुमार

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 237 Views
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