उम्मीद: सात हाइकु
उम्मीद: सात हाइकु
// दिनेश एल० “जैहिंद”
आशा आशय
मनसा प्राकृतिक
जग ऐच्छिक ।
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कर्म है आज
कामना है कल
कोख भविष्य ।
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उम्मीद साथी
जीवन-रथ सार्थी
छोड़ न डोर ।
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ज्यों मरी आशा
छायी घोर निराशा
डूबा सूरज ।
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जहाँ हो चाह
वहीं बनी है राह
मकड़ी-सीख ।
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वहीं है जीत
उम्मीद पे उम्मीद
दिवाली-ईद ।
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अनिच्छा गौण
इच्छा है महत्तम
जग कायम ।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
19. 08. 2017