“उम्मीद बहुत है”
गिर के अक्सर उठ जाता हूं,
मुझमें भी ज़िद बहुत है।
?? हौसले के तरकश में ,
?? कोशिश के तीर बहुत है।
खुशियों की चाह है,
लेकिन ज़िन्दगी में गम बहुत है।
?? हार नहीं सकता मै अपनी ज़िन्दगी,
?? क्यों कि मेरे पीछे उम्मीद बहुत है।