अपनी पीर बताते क्यों
अपनी पीर बताते क्यों
दिल के दाग़ दिखाते क्यों
उम्मीद नहीं लौटेंगे
वरना घर से जाते क्यों
रूठे हैं जो बरसों से
कहने से आ जाते क्यों
वो चुपचाप गए घर से
हम उनको समझाते क्यों
गहरा घाव रहा होगा
गीत ग़मी के गाते क्यों
बात रही होगी कुछ तो
शे’र हमारे भाते क्यों
***