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16 Jul 2022 · 1 min read

उम्मीद का दामन।

पेश है पूरी ग़ज़ल…

उम्मीद का दामन थामे थामे तमाम उम्र काट दी।
पर जिंदगी की दुश्वारियां है कि जाती ही नहीं है।।1।।

हम अपने जख्मों को किसी को दिखाते नही है।
पर अंखियां है कि अश्कों को छुपाती ही नहीं है।।2।।

अब अंधेरे का लेते है हम सहारा सुकूंन के लिए।
रोशनी में परछाइयां है गमों की जाती ही नहीं है।।3।।

खुदा के हर दर पर जाकर हमने दुआये मांगी है।
पर मेरी अर्जियाँ है कि असर में आती ही नहीं है।।4।।

वो पूंछतें है कि हमसे कितनी मोहब्बत करते हो।
चाहतो में गहराइयां है कि नापी जाती ही नहीं है।।5।।

वो कहते है हर पल को दिल से जियो मुस्कुराके।
गरीबी में जिंदगियां है कि काटी जाती ही नहीं है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

1 Like · 2 Comments · 287 Views
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