उम्मीद – कहानी
उम्मीद – कहानी
एक परिवार जिसमें दिवाकर चौहान और उसकी पत्नी रहते हैं | यह एक मध्यमवर्गीय परिवार है | दिवाकर जी एक सरकारी कर्मचारी है और इनका अपना खुद का मकान है जिसे इन्होंने लोन लेकर बनवाया है | शादी के 35 वर्ष बाद भी इन्हें संतान का सुख नहीं मिला | मकान की छत पर एक कमरा बनवा दिया किराएदार के लिए |
विशाल एक शिक्षक है जो दिवाकर जी के मकान में किराए से रहने के लिए आता है | विशाल की पहली पोस्टिंग विज्ञान विषय के शिक्षक के रूप में हुई है | विशाल बेहद शालीन है | उसके व्यवहार से दिवाकर जी और उनकी पत्नी प्रभावित होते हैं | उन्हें विशाल के बारे में जानकार दुःख होता है कि उसने बचपन में ही अपने माता – पिता को खो दिया था और उसके जीवन एक अनाथ आश्रम में गुजरा था | उसके बाद दिवाकर जी व उनकी पत्नी विशाल में ही अपनी संतान को खोजने लगते हैं | सुबह शाम उसकी आवश्यकताओं का ख्याल रखना और उसको समय-समय पर विभिन्न आयोजनों में शामिल करना शुरू कर देते हैं | विशाल भी दिवाकर जी एवं उनकी पत्नी में अपने माता पिता की छवि देखने लगता है और उनका सम्मान करने लगता है | विशाल का जीवन एक अनाथ आश्रम में गुजरा था उसे अपने माता-पिता के न होने का आभास था |
तीन वर्ष बीत गए इसी बीच साथ में ही काम करने वाली एक शिक्षिका श्रुति ने विशाल के सामने शादी का प्रस्ताव रखा | विशाल श्रुति की भावनाओं का सम्मान करता था सो उसे शादी के लिए हां कर देता है | दिवाकर व उसकी पत्नी विशाल का विवाह बड़ी धूमधाम से करते हैं घर में बहू आती है घर की रौनक बढ़ जाती है | बहू के हाथों की चूड़ियों की खनक और पायल का मधुर संगीत घर को खुशियों से भर देता है |
श्रुति को विशाल के बारे में पूरी जानकारी होती है किंतु वह अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की वजह से विशाल से शादी करती है उसका प्रमुख कारण थे उसके माता – पिता | वे विशाल को अपना घर दामाद बनाना चाहते हैं क्योंकि श्रुति के घर में उसके माता-पिता के अलावा कोई नहीं है | श्रुति विशाल पर घर – जमाई बनने का दबाव डालती है और “उम्मीद” करती है कि विशाल उसका साथ दे | किंतु विशाल इस पर उसे स्पष्ट शब्दों में घर जमाई बनने से इंकार कर देता है | विशाल जानता है कि उसके इस फैसले से दिवाकर जी व उनकी पत्नी जिन्हें वह अपने माता – पिता की तरह सम्मान देता है उनकी “आशाओं” पर पानी फिर जाएगा | श्रुति नाराज होकर अपने मायके चली जाती है |
इधर विशाल सोच में पड़ जाता है कि करे तो क्या करे | वह अपनी समस्या को दिवाकर जी व उनकी पत्नी के सामने रखता है वे विशाल को बहुत ही सुन्दर सुझाव देते हैं | एक सप्ताह बाद विशाल अपने ससुराल पहुंचकर श्रुति और उसके मम्मी – पापा को किसी बहाने से अपने साथ ले आता है और दिवाकर जी के घर के बाजू में जो नयी कॉलोनी है उसके एक नए मकान के सामने ला खड़ा कर देता है | श्रुति को कुछ समझ नहीं आता | विशाल श्रुति के मम्मी – पापा को इस नए मकान के गृह प्रवेश के लिए कहता है और बताता है कि हमने यह नया मकान आपके लिए लिया है ताकि आप हमारे नजदीक रहें और मैं और श्रुति आप दोनों की भी सही तरीके से देखभाल कर सकें | इससे हम दोनों परिवार एक दूसरे के पास रहेंगे जिससे श्रुति , हम तुम्हारे मम्मी- पापा और मेरे मम्मी – पापा का भी ख्याल रख सकेंगे | एक बात और श्रुति , ये सुझाव मेरे मम्मी – पापा ने ही मुझे दिया था | श्रुति अपने आंसू नहीं रोक पाती है और वह दिवाकर जी एवं उनकी पत्नी के चरणों में पड़ जाती है वे उसे अपने सीने से लगा लेते हैं | श्रुति विशाल के सीने से लिपट जाती है | दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगते हैं |