Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Dec 2017 · 1 min read

उम्मीदों के मोजे

उम्मीदों के मोजे
****************

कड़कड़ाती निष्ठुर ठण्डी के बीच
चलो शहर का एक चक्कर लगा आयें
कुछ मासूमों ने टांगे हैं उम्मीदों के मोजे
चलो उनमें कुछ खुशियाँ भर आयें
नुक्कड़ वाले घर में भूख का साया है
उनके लिये खुद मोजे भर रख आयें
ढाबे वाला छोटू तक रहा होगा राह
उसके हाथों में दस्ताने पहना आयें
वो सोच रहा है मोजा कहाँ से लाऊँ
उसकी आँखों मेंं सपनेे भर आयें
ठिठुर रहे हैं कुछ लोग सड़क पर
उन्हे कम्बल ओढ़ा राहत दे आयें
वो फटे पुराने कपड़ों में सिमटी है
एक गरम स्वेटर उसको पहना आयें
बैठते हैं मजदूर जहाँ पर दिन भर
उस नुक्कड़ पर अलाव जला आयें
वो गुड़िया नंगे पाँव खिलौने बेचती है
उसके पैरों में जूते मोजे पहना आयें
बूढ़ी अम्मा देर रात तक बेचती है बेेर
आज उसको थोड़ा सा खुश कर आयें
चर्च में जलने वाली मोमबत्तियों से
अँधेरे पड़े घरों को रौशन कर आयें
कल की छुट्टी है इसका जश्न मनायें
आज यूँ ही अपनी रात बिता आयें
कड़कड़ाती निष्ठुर ठण्डी के बीच
चलो शहर का एक चक्कर लगा आयें ।

” सन्दीप कुमार “

Language: Hindi
669 Views

You may also like these posts

#पश्चाताप !
#पश्चाताप !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
..
..
*प्रणय*
मातृभाषा हिंदी
मातृभाषा हिंदी
Nitesh Shah
जिंदगी के अनुभव– शेर
जिंदगी के अनुभव– शेर
Abhishek Soni
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
* प्यार का जश्न *
* प्यार का जश्न *
surenderpal vaidya
मन के मनके फोड़ा कर...!!
मन के मनके फोड़ा कर...!!
पंकज परिंदा
बेटियां अमृत की बूंद..........
बेटियां अमृत की बूंद..........
SATPAL CHAUHAN
मजदूर की व्यथा
मजदूर की व्यथा
Rambali Mishra
राम राम सिया राम
राम राम सिया राम
नेताम आर सी
समय की बात है
समय की बात है
Atul "Krishn"
ज़रा सा इश्क
ज़रा सा इश्क
हिमांशु Kulshrestha
कितनी प्यारी प्रकृति
कितनी प्यारी प्रकृति
जगदीश लववंशी
नाराज़गी जताई जा रही है,
नाराज़गी जताई जा रही है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
श्रम बनाम भ्रम
श्रम बनाम भ्रम
Jyoti Pathak
*बहुत सौभाग्यशाली कोई, पुस्तक खोल पढ़ता है (मुक्तक)*
*बहुत सौभाग्यशाली कोई, पुस्तक खोल पढ़ता है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
Shivkumar barman
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
Shekhar Chandra Mitra
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
पूर्वार्थ
मजाक दुनिया के कुछ भाएं कुछ न भाएँ हैं।
मजाक दुनिया के कुछ भाएं कुछ न भाएँ हैं।
Priya princess panwar
"तकरार"
Dr. Kishan tandon kranti
“श्री गणेश”
“श्री गणेश”
Neeraj kumar Soni
दोहात्रयी. . .
दोहात्रयी. . .
sushil sarna
मेहनत की कमाई
मेहनत की कमाई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Maybe this is me right now
Maybe this is me right now
Chaahat
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
एक तरफ
एक तरफ
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
Raju Gajbhiye
2507.पूर्णिका
2507.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...