उम्मीदों का सूरज
उम्मीदों का सूरज जाने कब चमकेगा
उदाशी का जमाना जाने कब बदलेगा
मन घबराये राहत की राह न दिखे रब
जिन्दगी बढ़ाने का हवा जाने कब चलेगा
हमारा चमन आग से खाक हो गया
फिर चमन फूलों से जाने कब महकेगा
महीनों बीते सालों ना बीत जाये रब
ये हालात खुदा जाने कब सुधरेंगा
नूरफातिमा खातून “नूरी”
२२/३/२०२०