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14 Jul 2021 · 1 min read

उम्मीदों का सहारा

दिन में भी अब अँधेरा-सा लगता है
अपना घर भी रैन-बसेरा सा लगता है
बेहद निराश हूँ आसपास के माहौल से
ये जीवन किसी उदास सवेरा सा लगता है
इस व्यस्त जिंदगी में हर पल
किसी साये का पहरा सा लगता है
दिल में उठा हल्का सा दर्द
अब और भी ज्यादा गहरा सा लगता है
मुश्किलों की इस लम्बी कतार में
मेरा वजूद कहीं ठहरा सा लगता है
अब तक उम्मीदों के सहारे जी रही हूँ मैं
आने वाला कल कुछ सुनहरा सा लगता है।

– मानसी पाल ‘मन्सू’
???

Language: Hindi
1 Like · 239 Views

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