उम्मीदे वफा
ये जो वफा की उम्मीद तुमनें हमसे की है
हम तुम्हें कभी यूं ही रुसवा नहीं होने देंगे ।
हम खुद विक जायेंगे बाजार ए महफिल में ,
पर तुम्हारी अस्मत को नीलाम नहीं होने देंगे ।
तुमनें हम पर मोहब्बत में एतवार किया है ,
इस मतलबी और वेवफाई के हसीं दौर में ।
जान अपनी पनाह कर देंगे हम तुम्हारे लिए ,
पर खंजर तुम्हारे दिल के पार नहीं होने देंगे ।
मुकम्मल सकून मिलता है मेरी रूह को ,
जो दीदार हो जाता है महज तेरा मुझको ।
वहा देंगे हम लहू का अपने हर एक कतरा ,
पर तेरी आंखों से एक अश्क छलकने न देंगे ।