उम्मीदें ही काफी रही
अपेक्षाएं नहीं किसी से कुछ भी पाने के लिए
उम्मीदें ही काफी रही उमर बीत जाने के लिए
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वो तो आए सुबह-सुबह केवल बताने के लिए
उनकी जंग जारी है धरा पे स्वर्ग लाने के लिए
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विवश मैं तो मजबूरियां उनको बताने के लिए
जो शहर में मशहूर था किस्सा सुनाने के लिए
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वो तो आए सुबह-सुबह केवल बताने के लिए
उनकी जंग जारी है धरा पे स्वर्ग लाने के लिए
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इकट्ठे हैं सारे कलन्दर मुझको बचाने के लिए
ये कौन दे रहा आवाज पत्थर चलाने के लिए
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रिश्तें तो हो गये हैं किश्तों में निभाने के लिए
कोई न तैयार है यह बात तो छिपाने के लिए
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रोका था जिन्हें मैंने सुख-दुख बताने के लिए
वो कहते रहे सब कुछ ही भूल जाने के लिए
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वो आए हुए हैं गिरों को ऊपर उठाने के लिए
इनमें ही मची होड़ रसातल को जाने के लिए
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जिसने कहा था समय पे काम आने के लिए
जिम्मेदार ये निकला मुसीबत बुलाने के लिए
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दुआएं हैं क़ैद में तरसती बाहर आने के लिए
अब तो सोचो बद्दुआओं से पार पाने के लिए
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शुक्रिया है जमीन से मुझको मिटाने के लिए
आसमानों में मेरी मिल्कियत बताने के लिए
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-रामचन्द्र दीक्षित ‘अशोक’