पावस
उमड़-घुमड़ कर छम-छम करती पावस सुख बरसाने आई ।
पंक्ति बद्ध हो कमर झुकाए करें नारियाँ धान रुपाई ।
श्रम सुन्दरियाँ तन्मयता से हाथ लिए नन्हें बिरवा को-
अद्भुत लय में गायन करती वसुन्धरा की गोद सजाई ।
-लक्ष्मी सिंह
उमड़-घुमड़ कर छम-छम करती पावस सुख बरसाने आई ।
पंक्ति बद्ध हो कमर झुकाए करें नारियाँ धान रुपाई ।
श्रम सुन्दरियाँ तन्मयता से हाथ लिए नन्हें बिरवा को-
अद्भुत लय में गायन करती वसुन्धरा की गोद सजाई ।
-लक्ष्मी सिंह