उमंग है तरंग है होली का यह रंग है __घनाक्षरी
उमंग है तरंग है होली का यह रंग है ।
झूम रहा तन मन फगुआ बरस रहा।।
जब सब खेल रहे रंग चारों और बहे।
खेल तू खेल काहे बबुआ तरस रहा।।
अंग _ अंग सारे मले नशीली सी चाल चले।
लगता है ऐसे जैसे महुआ बरस रहा।।
चहुं और है आनंद मचा गलियों में शोर ।
ढोल बाजे ढमा डम मनुआ हरस रहा।।
राजेश व्यास अनुनय