उपहार
(((((((((((उपहार))))))))))
खत पढ़ते हुए राहुल की आंखों से लगातार आंसू बहे जा रहे थे ।जीवन का सबसे प्यारा उपहार उसके हाथों में था ।एक पल में …..हां सिर्फ एक पल में ही तो खुशियां कदम चुमने लगी थी ।
भरी हुई आंखो से खत लिखने लगा ….. जानती हो…ये मन भी कितना बावरा है ….उन पलों को ….उन लम्हों को…मन के सागर से सीप में मोती की तरह खोज खोज कर निकाल रहा है … जिन्हें हम पीछे छोड़ आए थे । तुम्हारे जाने के बाद अपनी ज्यादतियां पहाड़ की तरह सामने आ खड़ी हुई…. गलतियों का एहसास भी कुछ ज्यादा ही होने लगा ।
परन्तु कहते हैं न की बाद में पछताने से कुछ हासिल नहीं होता … क्योंकि किसी वस्तु की अहमियत, खो जाने पर या दूर जाने पर ही होती है…।आज वही छोटी छोटी बातें समुद्र मंथन में निकले अमृत और विष की तरह दिमाग से छन कर दिल तक आ रही है …तुम्ही कहो..क्या वे बेकार की बातें जिन्हें हमने अपना गुरुर मान लिया था और उन्हीं बेकार की बातों की वजह से नफ़रत कब हमारे प्यार पर हावी हो गई पता ही न चला .. और
तुम घर छोड़ कर चली गईं ।और मैं बेबस सा तुम्हे जाते हुए देखता रहा … नहीं …मैं बेबस तो नहीं था
चाहता तो…. तुम्हें रोक सकता था। परन्तु मेरा गुरुर पुन: आडे आ गया …और तुम चली गई ।और मैं चाह कर भी न रोक सका ।
अचानक आज तुम्हारा खत मिला ।तुमने लिखा की मैं तुमसे जितनी नफरत करने लगी थी … उससे कहीं ज्यादा प्यार करती हुं….मेरी नफ़रत प्यार के आगे दम तोड चुकी है…. क्या ये छोटे-छोटे झगड़े हमें जुदा कर सकते हैं…?शायद कभी नहीं…. मुझे तुम्हारा इंतजार है …. आओगे न….??
तुम्हारे इस खत से सब कुछ तो बदल गया ….मैंने उन लम्हों को पुनः पा लिया जो कभी मेरे हाथों से रेत की तरह फिसल गये थे। मैं तुमसे वादा करता हुं इन लम्हों को हमेशा इस तरह थाम कर रखुंगा जैसे कोई बालक अपने प्रिय खिलौने को
तुमने मुझे अपने प्यार का उपहार जो दे दिया है जीवन का सबसे प्यारा उपहार……।
*******************************************