*उपस्थिति रजिस्टर (हास्य व्यंग्य)*
उपस्थिति रजिस्टर (हास्य व्यंग्य)
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सरकारी संस्थानों में सच पूछिए तो सबसे बेकार की चीज अगर कोई है तो वह उपस्थिति रजिस्टर है। लाखों रुपया हर साल इस उपस्थिति रजिस्टर पर खर्च हो जाता है। क्या इसे बचाया नहीं जा सकता?
उपस्थिति रजिस्टर की आवश्यकता ही क्यों है? यह सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच में एक अविश्वास की दीवार खड़ी करता है। जब कर्मचारी उपस्थित है तो उसे रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य क्यों होना चाहिए ?
हर कर्मचारी को घर से चलते समय बार-बार घड़ी देखकर यही दुविधा रहती है कि वह समय पर उपस्थिति रजिस्टर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर पाएगा अथवा नहीं ? इस चक्कर में न जाने कितने हजार लोगों को तनाव रहता होगा और वह बीमारियों से ग्रस्त हो जाते होंगे ? स्वस्थ भारत के निर्माण में भी उपस्थिति रजिस्टर बाधा उत्पन्न करता है।
उपस्थिति रजिस्टर इतना महत्वपूर्ण माना जाता है कि उसे अलमारी में ताले में बंद करके रखा जाता है। कमरे में ताला लगा होता है। फिर कमरे का ताला खुलता है। उसके बाद अलमारी का ताला खुलता है । फिर उसमें से रजिस्टर निकाल कर मेज पर रखा जाता है । इस बात का ध्यान रखा जाता है कि दोबारा से रजिस्टर को अलमारी में बंद करके ताला अवश्य लगा दिया जाए। जिसके जिम्में उपस्थिति रजिस्टर पर कर्मचारियों के हस्ताक्षर लेना होते हैं वह सबसे ज्यादा तनाव में रहता है।
कई बार संस्था प्रमुख स्वयं ही संस्था से अनुपस्थित रहते हैं। तब न कमरे का ताला खुलता है, न अलमारी का ताला खुलता है। सारे कर्मचारी इस बात को लेकर तनावग्रस्त रहते हैं कि आज की उनकी उपस्थिति क्या कल को उपस्थिति रजिस्टर में चढ़ जाएगी ? समय पर संस्था में आकर उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होता है। लेकिन अक्सर देखा गया है कि संस्था प्रमुख स्वयं ही देर से आते हैं । जब आए तो कमरा खोलकर अलमारी से उपस्थिति रजिस्टर निकाल लिया। उसके बाद आराम से संस्था की कार्य दिवस की समाप्ति तक हस्ताक्षर होने का काम रजिस्टर पर चलता रहता है।
कई संस्थानों में उपस्थिति रजिस्टर को फालतू का एक रजिस्टर मान लिया जाता है। वह सुबह से शाम तक एक खुले कमरे के मेज पर पड़ा रहता है। जब जिसका जी चाहे आए और उपस्थिति रजिस्टर पर अपने हस्ताक्षर कर दें । बस इतना जरूर है कि हस्ताक्षर होते रहने चाहिए। कुछ लोग जब दो-तीन दिन तक हस्ताक्षर नहीं करते हैं तब उन्हें याद दिलाई जाती है कि भाई साहब ! संस्था में एक उपस्थिति रजिस्टर भी होता है, जिस पर प्रतिदिन हस्ताक्षर करने जरूरी होते हैं। तब जाकर वह सज्जन अपने तीन-चार दिनों के हस्ताक्षर एक साथ करते हैं। जब किसी को उपस्थिति रजिस्टर के होने न होने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता तो ऐसा उपस्थिति रजिस्टर किस काम का?
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
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