उपवास
समीप रखे ईश्वर के, करता हमारे मन को शांत।
उपवास नाम है संयम का,दे स्वास्थ्य को विश्राम।
उपवास जरूरी जीवन में, तन मन को शुद्ध करें,
निर्मल मन से ईश मिले, सुंदर भाग्य पुष्प खिले।
पूजन व्रत और नियम से,अनुशासन है आता।
अनुशासन जीवन में सदा, संमियतता है लाता।
व्रत से तनाव दूर हो, तन को रोग मुक्त करे।
विकार तन के दूर हो, विचार व्रत से शुद्ध करे।
उपवास करे सजग हो,मन कलुषित भाव न लाये।
सुंदर सुखद बने जीवन, अच्छे गुणों को अपनाएं।
ईश्वर की आराधना यही, मानवता जीवन का मूल हो
उपहास करें न किसी का,शुद्ध भाव चिंतन आमूल हो।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश