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20 Oct 2024 · 1 min read

उन के दिए ज़ख्म

उन के दिए ज़ख्म
ख़ामोशी से सी चुके हैं हम
अब वो लौट के आयें भी तो क्या
बहुत दूर निकल चुके हैं हम
अब कोई चाहत ही नहीं
उन से रूबरू होने की
दर्द आँसुओं के साथ पी चुके हैं हम

हिमांशु Kulshrestha

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